Nasha

About Book

ईश्वरी एक बड़े जमींदार का लड़का था और मैं एक गरीब क्लर्क का, जिसके पास मेहनत-मज़दूरी के सिवा और कोई जायदाद नहीं थी। हम दोनों में आपस में बहस चलती रहती थीं। मैं जमींदारी की बुराई करता, उन्हें ख़तरनाक जानवर और खून चूसने वाले जोंक और पेड़ों की चोटी पर फूलने वाला बंजर फूल कहता। वह जमींदारों का पक्ष लेता, पर नैचुरली उसका पहलू कुछ कमजोर होता था, क्योंकि उसके पास जमींदारों के लिए कोई तर्क नहीं होता था। वह कहता कि सभी इंसान एक जैसे नहीं होते, छोटे-बड़े हमेशा होते हैं और होते रहेंगे, मगर बेकार की बात थी ये।

Puri kahani sune

Chapters

Add a Public Reply