When Breath Becomes Air

About Book

कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी से जूझता इंसान अपने आख़री पलो को किस तरह जीना चाहेगा ? उसके मन में किस तरह की बाते होंगी? वो इन पलो को अपने करीबी लोगो के साथ किस तरह बिताना चाहेगा? इन सब सवालों का जवाब तो वो ही इन्सान दे सकता है जो मौत के बेहद करीब हो. व्हेन ब्रीथ बिकम्स एयर में कुछ ऐसे ही इमोशनल सवालों के जवाब ढूंढने की कोशिश की गयी है. 

 


1.    इस बुक से हम क्या सीखेंगे?


ये बुक एक रियल स्टोरी पर बेस्ड है. इमोशंस और ट्रेजेडी की मिलीजुली स्टोरी है ये किताब जो आपके दिल को छु जायेगी और बहुत कुछ सोचने पर मजबूर कर देगी. 

 


2.    ये बुक किस किसको पढनी चाहिए?


अगर आप अपनी लाइफ की छोटी मोटी परेशानियों से घबराते है तो इस बुक को एक बार पढ़ के देखे, राइटर अपनी जिंदगी के सबसे मुश्किल दौर से गुजरते हुए दुनिया को क्या संदेश दे रहा है., ये सब आपको इस बुक में मिलेगा. किसी और की लाइफ के रियल एक्सपिरियेंश हमे भी बहुत सीखने का मौका देते है. 

 


3.    इस बुक के ऑथर कौन है? 


पॉल सुधीर अरुण कलानिथी 1 अप्रैल, 1977 को पैदा हुए थे. वो एक इंडो-अमेरिकन न्यूरोसर्जन और राइटर थे जो अपनी आखिरी सांस तक लंग कैंसर से लड़ते रहे. अपनी इस मेंमोइर में उन्होंने अपने परिवार, वाइफ और फेमिली लाइफ को डिसक्राइब किया है. ये बेहद दुःख की बात है कि बहुत कम उम्र में ही एक टेलेंटेड न्यूरो सर्जन और एक फाइन ह्यूमन बीइंग इस दुनिया को अलविदा कह गया लेकिन अपनी इस किताब के थ्रू वो हमेशा अपने चाहने वालो के दिल में रहेंगे. 

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